दौलत शोहरत क्या करनी तेरे प्यार का खहारा काफ़ी है प्यार तो हे एहसास जहाँ ...पर वो जीते बीएस जो हारे खेल नहीं कोई शर्त नहीं एक आग तो हे जलता जाए ताज हकूमत नहीं चाहिए मुझे ताज हकूमत नहीं चाहिए तेरे नाम का सहारा काफी हे दौलत शोहरत क्या करनी तेरे प्यार का खहारा काफ़ी है ये महल अटारी नही चईये तेरे दिल में गुज़ारा काफ़ी है दौलत शोहरत क्या करनी